बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

धर्म के देवता


»»»»»»»»»»» हिन्दू (सनातन) धर्म के देवता«««««««« हमारे सनातन हिन्दू धर्म में कितने देवता हैं ? इसे सप्रमाण बतलाना चाहिए । कुछ लोग 33 करोड़ तो कुछ 33 प्रकार के बतलाते हैं । इस विषय में हम वेदों का शिरोभाग जिसे उपनिषद् कहते हैं उससे इस विषय को प्रस्तुत करते हैं ------बृहदारण्यक उपनिषद् में शाकल्य ऋषि ने याज्ञवल्क्य महर्षि से पूछा --देवता कितने हैं ---कति देवाः ? याज्ञवल्क्य जी ने अन्तम उत्तर देते हुए कहा -------33 ही देवता हैं -----त्रयस्त्रिंशत्त्वेव देवाः। अब प्रश्न हुआ --वे 33 देवता कौन कौन हैं ? इसका उत्तर दिया गया ------ 8 वसु 11 रुद्र 12 आदित्य 1इन्द्र 1प्रजापति कुल योग = 33 यही 33 देवता हैं । -----बृहदारण्यकोपनिषद्9/3/1-2. इस प्रकार वेद में 33 ही देवता कहे गये हैं । यहां कहीं भी --33 कोटि देवता --ऐसे शब्द का प्रयोग ही नहीं है। जिससे हमें कोटि शब्द के अर्थ को बतलाने के लिए बाध्य होना पड़े । ये 33 देवता भी एक ही देवता = परमात्मा =ब्रह्म =भगवान् के विभिन्न रूप हैं । वस्तुतः एक ही देव है जो भिन्न भिन्न प्रकार से अनेक नामों से कहा गया है---एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति --ऋग्वेद,वही एक देव सर्वत्र व्याप्त (समाया) हुआ है ---एको देवः सर्वभूतेषु गूढः ----श्वेताश्वतरोपनिषद्-6/11. हमारा सनातन हिन्दू धर्म मुस्लिम या इशायियों की भांति छुद्र विचारधारा वाला नहीं है । यहां तो यह उस समय ही विनिर्णीत हो चुका कि जो कुछ दिखायी या सुनायी देता है वह सब वही एक देव है ---सर्वं खल्विदं ब्रह्म---3/14/1. अतः हमारे सनातन धर्म में मूलतः एक ही देव हैं जिन्हे हम इन 33 देवताओं की बात क्या , सम्पूर्ण विश्व को उन्ही का रूप देखते हैं । इसलिए आज तक हिन्दुओं में किसी ने भी अन्य धर्मानुयायी को धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य क्या प्रेरित भी नही किया । जैसा कि इशाई और मुस्लिम कर रहे हैं । जिन्हें अभी भी इस विषय में सन्देह हो उन्हें अपनी विमल मेधा का प्रयोग करके ब्रह्मसूत्र के "देवताधिकरण" -अध्याय 1/पाद 3/अधिकरण 8/सूत्र 27. का शांकर भाष्य एवं उसकी भामती टीका जैसे ग्रन्थों का अवलोकन करना चाहिए । >>>>>>>>जय श्रीराम<<<<<<<<<<< »»»»»»»»»»»आचार्य सियारामदास नैयायिक««««««««««««