बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

हिन्दू शब्द कितना प्राचीन


"हिन्दू" शब्द हमारे शास्त्रों में कहा आया है ?यह प्रश्न कई विद्वानों ने मुझसे किया । लोकमान्य तिलक जी ने "हिन्दू" शब्द की परिभाषा एक श्लोक में प्रस्तुत की है कि सिन्धु नदी के उद्गम स्थान से लेकर हिन्दमहासागर तक जिसकी पवित्र मातृभूमि और भारतभूमि है उसे हिन्दू कहा जाता है-- आसिन्धोः सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारतभूमिका । पितृभूः पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरिति स्मृतः । । पर यह श्लोक किस ग्रन्थ का है उन्होने नाम नहीं लिया । अस्तु । किन्तु मेरुतन्त्र मे "हिन्दू"शब्द का उल्लेख मिलता है ---- पञ्चखाना सप्तमीरा नवसाहा महाबलाः । हिन्दूधर्मप्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिनः । । हीनञ्च दूषयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये । जो धर्म कर्म से हीन को दूषित अर्थात् दोषी = अपराधी ठहराने की हिम्मत रखता हो वह "हिन्दू" है । --मेरुतन्त्र /33वाँ प्रकरण । पर इस पुस्तक मे खान मीर और साह शब्द को देखकर कतिपय विद्वानों ने इसे अर्वाचीन माना है । किन्तु उनका यह तर्क ठीक नही ;क्योंकि ऐसा मानने पर भागवतमहापुराण मे ---कल्किः प्रादुर्भविष्यति --इस प्रकार कल्कि भगवान जो कि अभी अवतरित ही नही हुए उनका नाम आने से भागवत को उनके प्रकट होने के बाद की रचना मानना पड़ेगा जो कि कई हजार वर्ष पूर्व से ही विद्यमान है । अतः उनका तर्क ठीक नही । हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष पूर्व और पश्चात् की घटनाओं को अपनी ऋतम्भरा प्रज्ञा से देखकर लिख देते थे । भारत मे मुसलमानो के आने से पूर्व ही "हिन्दू" शब्द की प्रसिद्धि थी । पारसी लोगो का मूल धर्मग्रन्थ "अवेस्ता" है । जिसका वेद से घनिष्ठ सम्बन्ध है । दोनो के अनेक देवता और धार्मिक कृत्यों में साम्य है । जैसे अहुमज्द का वरुण एवं सोम का हओम से । "अवेस्ता" के भाग 1 वन्दिदाद में "हिन्दू" शब्द का प्रयोग - पञ्चदसँम् असड़्हाँम् च षोडथ्रनाम् च बहिश्लम् फ्राथ्वरसम् अजम् यो अहुरोमज्दाओ यो हप्त हिन्दुम् । --1/18. यहाँ पारसियों के मान्य देवता अहुरमज्द द्वारा निर्मित 16 देशों की गणना मे 15 वाँ देश "हप्त हिन्दु" बताया गया है पारसियों के ग्रन्थ मे स को ह बोला गया है । हप्तहिन्दु = सप्तसिन्धु। हमारा भारत पूर्व से सिन्धु झेलम रावी सतलज और पश्चिम से सुवास्तु (स्वात) कुभा (काबुल) तथा गोमती(गोमल) इन छह प्रधान नदियों से सिञ्चित होने के कारण "सप्तसिन्धु"कहा जाता है । इन सात नदियों वाला यह भारत देश सप्तसिन्धु है पारसी में इसका उच्चारण "हप्तहिन्दु" है। यही "हिन्दु" शब्द आज "हिन्दू" शब्द के रूप में बोला जाता है । पर हिन्दुस्तान मे तो "हिन्दु"शब्द ही है । "अवेस्ता" में अन्य स्थान पर भी "हिन्दु" शब्द दृष्टिगोचर होता है । ------------- यत् चित् उसस्त इरे हिन्द्वो आगउर्वयेइले यत् चित् दओषतइरे निघ्ने । । --11/27 अर्थ --- इसके पश्चात् पूर्व की ओर हिन्दुस्तान की तरफ अपना मार्ग लेता है तथा फिर पश्चिम की ओर नीचे उतरता है । यहां भी "हिन्दु" शब्द आया है । "अवेस्ता" के रचयिता 'जरथुस्त्र' का काल साधारणतया 6400 से 7000 वर्ष ईसा पूर्व माना गया है । अतः "हिन्दु" शब्द का प्रयोग लगभग 7000 वर्ष से हो रहा है यह सुनिश्चित है। जब पारसियों पर मुसलमानों का प्रभाव पड़ा तब से फारसी भाषा में हिन्दुओं के लिए प्रयुक्त "हिन्दू" शब्द काफिर (नास्तिक) आदि अर्थो मे द्वेषवशात् कहा जाने लगा । ------------जय श्रीराम —---------