आप सभी ने " मनु " के बारे में बहुत सुना है.उनके बारे में कुछ रोचक जानकारी आपको देता हूँ, इस विश्वास के साथ की ये जानकारी आपका ज्ञान वर्धन जरूर करेगी : -
मनु एवं सतरूपा की एक पुत्री थी थी नाम था देवहुति और उनके चार पुत्र थे - आहुति,प्रस्तुति,प्रियव्रत एवं उत्तानपाद.
देवहुति का विवाह कर्दम ऋषि से हुआ जिनसे नौ पुत्री एवं एक पुत्र कपिल मुनि हुए.कर्दम ऋषि की नौ पुत्रियों का विवाह, आर्यावर्त के समकालीन सर्वश्रेष्ट ऋषि,मुनियों से हुआ जिनके वंशजो ने आगे चलकर आर्यावर्त में आर्यों के इतिहास का निर्माण किया. इसी वंश के अगस्त ऋषि ने वृहत्तर आर्यावर्त को आयाम दिया जिसकी सीमा विन्ध्याचल पर्वत को लाँघ कर द्रविण देश होते समुद्र पर बाली - जावा से लेकर श्याम तक फैली थी. आज भी कृतग्य आर्य पित्रपक्ष का प्रथम तर्पण ऋषि अगस्त को अर्पित करता है.
कर्दम ऋषि की पुत्रियों का विवाह : -
१. प्रथम पुत्री कला का विवाह मरीचि ऋषि से हुआ जिनके पुत्र कश्यप ऋषि हुए.
२. द्वितीय पुत्री अनसूया का विवाह अत्री ऋषि से हुआ जिनके तीन पुत्र हुए - दुत्तामेय,दुर्वासा और चन्द्रमा.
३. तृतीय पुत्री श्रृद्धा का विवाह अंगीरा ऋषि से हुआ जिनके दो पुत्र उत्ति एवं बृहस्पति और चार पुत्रिया हुई.
४. च्चातुर्थ पुत्री हविर्भू का विवाह पुलस्त ऋषि से हुआ जिनके दो पुत्र हुए - अगस्त एवं विश्रवा .रावण इन्ही विश्रवा मुनि का पुत्र था.
५. पांचवी पुत्री गति का विवाह पुलह मुनि से हुआ.
६. छठी पुत्री क्रिया का विवाह्क्रतु ऋषि से हुआ जिनसे वृहत ऋषि उत्पन्न हुए.
७. सातवी पुत्री अरूंधती का विवाह मुनि वशिस्ठ से हुआ जिनसे सात ब्राह्मर्शी उत्पन्न हुए.
८. आठवी पुत्री शांति का विवाह अथर्व ऋषि से हुआ जिनके पुत्र दधिची हुए.
९. नौवी पुत्री ख्याति का विवाह भृगु ऋषि से हुआ.इन्ही के वंश में आगे चलकर शुक्राचार्य एवं रिचिक ऋषि एवं उनके पुत्र जमदग्नि उत्पन्न हुए.जमदग्नि के पुत्र भगवान परशुराम थे.