बुधवार, 29 मई 2024

योगमाया

 श्री योगमाया मंदिर जो कि “जोगमाया मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर नई दिल्ली, महरौली में स्थ्ति है। यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जो देवी योगमाया को समर्पित है और योगामाया भगवान श्री कृष्ण जी की बहन थी। इस मंदिर का नाम दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में आता है। ऐसा माना जाता है कि श्री योगमाया मंदिर उन पांच मंदिरों में से एक जो कि महाभारत काल के है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक ये उन 27 मंदिरों में से एक है जिन्हे महमूद गज़नबी और बाद में मुगलो ने नष्ट कर दिया था। ये एकमात्र मंदिर है जो पूर्व-सल्तनत अवधि से अब तक उपयोग में लाया जा रहा है।


राजपूतो के एक राजा जिसका नाम हेमू था, इस मंदिर का पुनः र्निमाण करवाया, जो यह मंदिर एक खंडहर था जो पुनः र्निर्माण के बाद वापस मंदिर में परिवर्तित किया गया था। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान, इस मंदिर में एक आयातकार कक्ष को जोड़ा गया जो मुगलो द्वारा इस प्राचीन मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित करने का एक असफल प्रयास रहा, बाद में इस कक्ष को देवी के वस्त्र रखने का कक्ष बना दिया गया। मंदिर के बार बार तोडे जाने के कारण इसकी मूल वास्तुकला को कभी फिर से नहीं बनाया जा सका, परन्तु इस मंदिर का पुनः निर्माण स्थानीय निवासियों द्वारा बार बार करवाया गया था।


वर्तमान मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के बहुत पुराने वंशजो द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पास एक पानी की झील है जिसे “अनंगताल” कहा जाता है। राजा अनंगपाल की मृत्यु के पश्चात इसे चारो ओर से पेड़ों द्वारा ढक दिया गया। ये मंदिर दिल्ली के अंतर-विश्वास का त्यौहार, “फूल वालो की वार्षिक सैर” का एक अभिन्न हिस्सा है।

12वीं शताब्दी के जैन ग्रंथो में इस मंदिर के निर्माण के पश्चात महरौली को योगिनिपुरा के नाम से वर्णित किया गया है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पांडवो द्वारा महाभारत युद्ध की समाप्ति के पश्चात करवाया गया था। महरौली उन सात शहरों में से एक है जो दिल्ली को वर्तमान राज्य बनने में सहायता करते है। इस मंदिर को सर्वप्रथम मुगल सम्राट अकबर (1806-37) के शासन काल के दौरान लाला सेठमल द्वारा करवाया गया था।


ये मंदिर कुतुब परिसर के लोह स्तंभ से 260 गज की दुरी पर स्थित है और दिल्ली के पहले किले गढ़, लाल कोट दीवारों के भीतर है, जिनके निर्माण तोमरध्तंवर राजपूत राजा अनंगपाल ने 731ई. में करवाया था। 11वीं शताब्दी में राजा अनंगपाल ने इस मंदिर का विस्तार किया और लाल कोट का भी निर्माण करवाया।


श्री योगमाया में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।

दक्ष

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