बुधवार, 13 जुलाई 2011

धर्मो रक्षति रक्षिते

धर्मो रक्षति रक्षिते-----धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा|____________लेकिन क्या होता है धर्म???

क्या आज कोई भी जानता है की धर्म किसको कहते है? --मेरा आप सभी से निवेदन है की आप ये सवाल खुद से पूछिए और उसका उत्तर नीचे लिखे उत्तर से मिलाइए....और धर्म की ये परिभाषा मैंने नहीं दी बल्कि हमारे वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता न...  धर्म की यही एक व्याख्या करी है_______लेकिन इस व्याक्ख्या के विरोध में हम आज सारे वो काम कर रहे है जो हमें नहीं करने चाहिए.....तो क्या हम सब लोग इन धार्मिक ग्रंथों से कहीं ज्यादा होशयार है??? क्या हम भटके हुए है या फिर हमारी मानसिकता ही कुत्सित हो गयी है???? अगर ऐसा है तो हम लोग इसका इलाज़ क्यों नहीं करते!!____________ क्या है इसका इलाज़ आपके पास???

**सत्य से धर्म उत्पन्न होता है और राष्ट्रहित से बड़ा कोई धर्म नहीं** "अतः सत्य ही धर्म है और सत्य ही राष्ट्र हित है" तो सत्य से मत डरो, सत्य से मत भागो, सत्य का साथ दो.
और आज सत्य यही है की हमारे हिन्दू राष्ट्र का हिंदुत्व ही संकट में है और आज अपने हिंदुत्व की रक्षा करने के सिवा दूसरा कोई भी हित इससे ज्यादा जरुरी नहीं____आपके विचार जानना चाहूंगी की क्या आप आज की इस आवश्यकता से सहमत है?????
 

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