गुरुवार, 19 जुलाई 2012

ब्राह्मण देवता क्यो है

दैवाधीनम जगत सर्वं , मंत्राधीनाश्च देवता |
ते मंत्रा ब्रम्हानाधीना , तस्मात् ब्राम्हण देवता
भावार्थ - सम्पूर्ण जगत देवताओं के अधीन है , देवता मन्त्रों के आधीन है , मंत्र ब्राम्हण के अधीन है , इसलिए ब्राम्हण देवता है |

3 टिप्‍पणियां:

  1. दैवाधीनम जगत सर्वं , मंत्राधीनाश्च देवता |
    ते मंत्रा ब्रम्हानाधीना , तस्मात् ब्राम्हण देवता
    भावार्थ - सम्पूर्ण जगत देवताओं के अधीन है , देवता मन्त्रों के आधीन है , मंत्र ब्राम्हण के अधीन है , इसलिए ब्राम्हण देवता है

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  2. जो पहले लिखा गया है उसे जो चाहें न माने, यह उनका मन है, कुछ लोग तो ईश्वर को भी नहीं मानते तो कोई क्या करेगा अपनी अपनी ईच्छा |


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  3. किस ग्रंथ का कौन सा श्लोक संख्या है?

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