त्रिदेव वास्तव में एक देव ही है,
सृष्टिस्थित्यन्त करणीं ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकाम्.
स संज्ञां याति भगवानेक एव जनार्दन:
(विष्णु पुराण 1-2-66)
वह एक ही भगवान् जनार्दन जगत् की सृष्टि, स्थिति और संहार के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ‒ इन तीन संज्ञाओं को धारण करते हैं.
एको देव: सर्वभूतेषु गूढ़:
सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा
कर्माध्यक्ष: सर्वभूताधिवास:
साक्षी चेता केवलो निर्गुणश्च.
(श्वेताश्वतरोपनिषद्)
समस्त प्राणियों में स्थित एक देव है, वह सर्वव्यापक, समस्त भूतों का अन्तरात्मा, कर्मों का अधिष्ठाता, समस्त प्राणियों में बसा हुआ, सबका साक्षी, सबको चेतनत्व प्रदान करने वाला, शुद्ध और निर्गुण है
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