सोमवार, 4 जुलाई 2011


ब्रह्मा की पूजा क्‍यों नहीं की जाती ?
सर्जक के रूप में ईश्‍वर को ब्रह्मा या प्रजापति‍ कहा जाता है. इस नाम से उसकी स्‍तुति‍ वेद में की गयी है. वैदि‍क काल में मन्‍दि‍रों का र्नि‍माण नहीं होता था. बाद में वि‍ष्‍णु, शि‍व और शक्‍ति‍ के रूप को महत्‍व देते हुए वैष्‍णव, शैव और शाक्‍त सम्‍प्रदाय खड़े हो गये और इन सम्‍प्रदायों ने ही मन्‍दि‍रों का र्नि‍माण कराया. ब्रह्मा के नाम से कोई सम्‍प्रदाय नहीं खड़ा हुआ, अत: न तो ब्रह्मा के मन्‍दि‍र बने और न उनकी पूजा ही होती है. एक बार सृजन हो जाने के बाद क्रि‍या और प्रति‍क्रि‍या का कर्म का सि‍द्धान्‍त लागू हो जाता है तथा वि‍श्‍व की प्रत्‍येक शक्‍ति‍ या वि‍श्‍व के प्रत्‍येक तत्त्व को नि‍यम का पालन करना होता है. पैदा होने के बाद मनुष्‍य को संरक्षण, धन, शक्‍ति‍ अथवा मृत्‍यु-भय से मुक्‍ति‍ चाहि‍ए और वह वि‍कल्‍प होने पर अपने प्रि‍य नामों को चुन लेता है. इसीलि‍ए संरक्षण के लि‍ए वि‍ष्‍णु नाम, धन के लि‍ए लक्ष्‍मी नाम, शक्‍ति‍ के लि‍ए दुर्गा नाम आदि‍ अधि‍क लोकप्रि‍य हो गये हैं. महाभारत का शान्‍ति‍ पर्व कहता है कि‍ ब्रह्मा सब प्राणि‍यों के प्रति‍ समभाव रखते हैं. दण्‍ड या वध का भय न होने से कोई उन्‍हें नहीं पूजता

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