सोमवार, 23 जुलाई 2012

नाग पंचमी

मान्यता है की श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी नागोँ को आनंद देने वाली तिथि है इस लिए इसे नाग पंचमी कहते है पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मातृ शाप से नागलोक जलने लगा तब नागो की दाह पीड़ा श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन ही शांत हुई इस कारण नागपंचमी पर्व विख्यात हो गया प्राचीन समय मे जनमेजय के द्वारा नागो को नष्ट करने के लिए किए जा रहै यज्ञ से जब नाग जाति के समाप्त हो जाने का संकट उत्पन्न हो गया तब श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन ही तपस्वी जरत्कारू के पुत्र आस्तिक ने उनकी रक्षा की और य़ज्ञ बंद कराया यह भी एक कारण है नागपंचमी बनाने का सही मायनों मे नागपंचमी का त्योहार हमें नागोँ के संरक्षण की प्रेरणा देता है पर्यावरण की रक्षा और वनसंपदा के संवर्धन मे हर जीव जन्तु की अपनी भूमिका तथा योगदान है फिर सर्प तो लोक आस्था मे भी बसे हुए है

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