भगवान विष्णु संसार के पालनकर्ता हैं। संसार में धर्म की स्थापना व अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए। इनमें से कुछ अंशावतार थे तो कुछ पूर्णावतार। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया। श्रीकृष्ण का जन्म भादौ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। हर वर्ष इस तिथि को दुनिया भर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूम-धाम व पूर्ण आस्था के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 10 अगस्त, शुक्रवार को है।
श्रीकृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। इनके जीवन चरित्र से हमें जीवन के कई अनमोल सूत्र मिलते हैं, जो वर्तमान समय के लिए बेहद जरुरी है। इन्हीं सूत्रों को अपनेजीवन से जोड़कर हम भी कामयाबी पा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने जीवन में श्रीकृष्ण को उतारना होगा। केवल श्रीकृष्ण के आवरण को नहीं उनके आचरण को भी समझना होगा। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना सबसे सरल और सीधी मानी गई है, जो शीघ्रफल देती है। श्रीकृष्ण कर्मकांड, जीवन में सफलता के सूत्र से लेकर...
श्रीकृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। इनके जीवन चरित्र से हमें जीवन के कई अनमोल सूत्र मिलते हैं, जो वर्तमान समय के लिए बेहद जरुरी है। इन्हीं सूत्रों को अपनेजीवन से जोड़कर हम भी कामयाबी पा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने जीवन में श्रीकृष्ण को उतारना होगा। केवल श्रीकृष्ण के आवरण को नहीं उनके आचरण को भी समझना होगा। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना सबसे सरल और सीधी मानी गई है, जो शीघ्रफल देती है। श्रीकृष्ण कर्मकांड, जीवन में सफलता के सूत्र से लेकर...
तंत्र तक हर विधा में उच्च फल देते हैं।
जानिए, क्या है भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं का रहस्य
भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक रूपों में हमें जीवन के गूढ़ रहस्य समझाए हैं लेकिन श्रीकृष्ण की कुछ बातें आज भी हमें हमारी बुद्धि से परे हैं। हम सभी ने कभी न कभी यह जरुर सुना होगा कि भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं से पूर्ण थे। किंतु यह कलाओं के पीछे क्या तथ्य हैं, यह बहुत कम लोगों को मालूम है। यहां हम आपको बता रहे हैं श्रीकृष्ण की इन्हीं 16 कलाओं का रहस्य-
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात को 12 बजे वृषभ लग्न में हुआ। अष्टमी के चंद्रमा को पूर्ण बली कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा की 16 कलाएं होती हैं जो प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक दिखाई देती है। रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है। इस काल में चंद्रमा उच्च पर होता है। ऐसे ही काल में चंद्रवंशी होने के कारण भगवान श्रीकृष्ण चंद्रवंश के संपूर्ण प्रतिनिधि के रूप में 16 कलाओं से युक्त कहलाएं।
जानिए, क्या है भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं का रहस्य
भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक रूपों में हमें जीवन के गूढ़ रहस्य समझाए हैं लेकिन श्रीकृष्ण की कुछ बातें आज भी हमें हमारी बुद्धि से परे हैं। हम सभी ने कभी न कभी यह जरुर सुना होगा कि भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं से पूर्ण थे। किंतु यह कलाओं के पीछे क्या तथ्य हैं, यह बहुत कम लोगों को मालूम है। यहां हम आपको बता रहे हैं श्रीकृष्ण की इन्हीं 16 कलाओं का रहस्य-
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात को 12 बजे वृषभ लग्न में हुआ। अष्टमी के चंद्रमा को पूर्ण बली कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा की 16 कलाएं होती हैं जो प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक दिखाई देती है। रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है। इस काल में चंद्रमा उच्च पर होता है। ऐसे ही काल में चंद्रवंशी होने के कारण भगवान श्रीकृष्ण चंद्रवंश के संपूर्ण प्रतिनिधि के रूप में 16 कलाओं से युक्त कहलाएं।
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