शनिवार, 8 सितंबर 2012
योग
योग अर्थात जीवन में अमूल्य परिवर्तन। सत्व, रजस और तमस के बीच संतुलन पा लेना। महर्षि पतंजलि के अनुसार- यमनियमासनप्रणायामप्रत्याहरधार णध्यानसमाधयेsष्टावड्गानि। अर्थात योग के आठ अंग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। यम - की साधना के पॉच अंग है- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहमचर्य और अपरिग्रह। नियम – शौच, संतोष, तप, स्वध्याय व ईश्वर प्रणिधान। आसन – स्थिर मुद्रा, विश्रात। प्रणायाम – यह अंर्तयात्रा का प्रारंभ है। प्राण का सामान्य अर्थ – जीवन तत्व एवं आयाम का अर्थ – विस्तार । अर्थात जीवन तत्व का विस्तार। सूक्ष्म दृष्टि से प्राण का अर्थ ब्राह्मण्ड में व्याप्त ऐसी उर्जा है जो जड एवं चेतना दोनों का समन्वित रूप है। प्राणायाम साधना का लक्ष्य इस तत्व को जानना तथा इस पर नियंत्रण पाना है। प्राणायाम से जो संकल्प वृद्धि होती है वह मनुष्य से स्थ्ूाल शरीर के समान्तर सूक्ष्मकाया कलवर को भी समर्थ बनाती है। जिस प्रकार सोने को तपाने से उसका खोअ निकल जाता है उसी प्रकार इंद्रियों के विकार प्राणायाम से जलकर नष्ट हो जाते है। प्रत्याहार – हिंसा, काम, क्रोध और ईर्ष्या के स्थान पर करूणा, प्रेम, श्रद्धा और अनुराग का जन्म। धारणा – अनावश्यक वस्तुओं का ध्यान छोडना। मन का एकाग्र होना। स्वयं का साक्षात्कार इसी इसी अवस्था में होता है। ध्यान – विषय विकारों से रहित, एक बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित । समाधि – यह वह अवस्था है जहॉ पहॅुच कर साधक व्यक्ति नही होता। वह केवल समाज की सेवा एवं कल्याण के लिए जीता है। अगर भारत देश की प्राचीन संस्कृति, वेशभूषा, उपचार पद्धति को लोग अपनाये तो इसमें कोई शक नही कि देश की लुप्त संस्कृति, प्राथमिक उपचार, जड़ी-बूटियों से उपचार कराकर लोग चिरायु व स्वस्थ बने रह सकते हैं। जिससे राष्ट्र तो समृद्ध होगा ही, साथ ही लोग निरोगी बनकर बुढापे के भय से मुक्त होकर शान्त जीवन सहज ही बिता सकते हैं। शायद कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि प्राचीन पद्धति को अपनाकर इच्छा मृत्यु तक का वरण किया जा सकता है। जो लोग योग, प्राणायाम को अपनाते है, वे सहज ही रोगी नहीं होते, उनमें निराशा नहीं आती और वे सदा आत्मविश्वास से भरे होते हैं। स्थूल रूप से प्राणायाम, ‘वास-प्रश्वास के व्यायाम की एक ऐसी पद्धति है जिससे फेफड़े बलिष्ठ होते हैं, रक्त संचार की व्यवस्था सुधरने से समग्र आरोग्य एवं दीर्घ आयु का लाभ मिलता है।
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