आत्मा को रथी और शरीर को रथ है
आत्मा को रथी और शरीर को रथ समझ, बुद्धि को सारथी जान और मन को लगाम समझ। मनीषी लोग इन्द्रियों को घोड़े और विषयों को उनका मार्ग कहते हैं। वे इन्द्रिय और मन से युक्त आत्मा को भोक्ता कहते हैं। जो मनुष्य विवेकशील और सदा संयत-चित्त रहता है, उसकी इन्द्रियां उसके वश में रहती हैं, जैसे अच्छे घोड़े सारथी के अधीन रहते हैं। जो विवेक शील बुद्धि-सारथी से युक्त और मन को संयत रखनेवाला होता है, वह जीवन की यात्रा को समाप्त कर व्यापक परमात्मा के परम पद को प्राप्त कर लेता है।
Vinod Kumar Choubey
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