शुक्रवार, 1 जुलाई 2011
एक दिन जब अपनी रचना रामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदास ने लिखा " सीय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी,," (सब में राम हैं और हमें उनको हाथ जोड़ कर प्रणाम करना चाहिए), उसके बाद वे गाँव की तरफ जा रहे थे तो किसी बच्चे ने आवाज़ दी "महात्माजी उधर से मत जावो, बैल गुस्से में है और आपने लाल वस्त्र भी पहन रखा है," तुलसीदास बोले हुह कल का बच्चा हमें उपदेश दे रहा है अभी तो लिखा था की सबमे राम हैं उको प्रणाम करूगा और चला जाऊंगा. जैसे ही वे आगे बढे बैल ने उन्हें मार दिया और वे गिर पड़े, किसी तरह से वे वहा पहुचे जहा रामायण लिख रहे थे, सीधा चौपाई पकड़ी और फाड़ने जा रहे थे तब हनुमान जी ने कहा क्या कर रहे हो, बोले ये चौपाई गलत है, और उन्होंने सारा वृत्तान्त सुनाया, हनुमानजी बोले चौपाई तो एकदम सही है, आपने बैल में तो भगवान् को देखा पर बच्चे में क्यों नहीं, आखिर उसमे भी तो भगवान् थे वो तो रोक रहे थे तुम नहीं माने, ऐसे ही छोटी घटनाएं हमें बड़ी घटनाओं का संकेत देती हैं, उन पर विचार कर आगे बढ़ने वाले कभी बड़ी घटनाओं का शिकार नहीं होते.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें